मेरे पड़ोस में एक सड़क है

मेरे पड़ोस में एक सड़क है
जहाँ से लगातार शोर आता है,
शोर गाड़ियों का,
गाड़ियों के हॉर्न का,
गाड़ियाँ ऐसे दौड़ती है जैसे
टायरों से दुनिया को घुमाना चाहती हो,
एक ऐसी दुनिया जो पहले से घुमी हुई है,
ऐसे लोग जो रुकना चाहते है पर रुक नही सकते,
जिंदगी को महसूस करना चाहते है पर कर नहीं सकते,
यही वो लोग है जो फ़र्ज़ को कर्ज़ पर लिया करते है,
जिम्मेदारियों में दबे रहते है,
ये जो दौड़ है लोगो की ये पाना क्या चाहते है,
ख़ुद को पता नही पर लोगो को समझाना चाहते है
कई मज़हबो की दुनिया में ये रमज़ान का महीना है,
कोई राम राम में द्वन्द करे कोई अनासक्ति में डूबा है,
वाइज़ो की इंसानियत सोई है महलो में,
गरीब आज भी भूका है
अमीर आज भी भूका है,
लंबी लंबी सड़के ये सदाए क्या देती है,
ख़ुदा है अगर धरती पर तो क्यों लोगो में बैरी है,
एक सड़क है लंबी सीधी सी कुछ ऊँची सी कुछ नीची सी,
हर मिल के पत्थर पर ख़ुदा का स्वयं पहरा है,
कोई आगे न पीछे सब उसका सब उसका है,
पड़ोस की दीवार पर एक खिड़की नवेली है,
सड़क को तकता हूँ मंज़िल कुछ अकेली है,
अदिबो की बस्ती का सफ़र कुछ हल्क़ा है,
अभी नींद से जागा हूँ आँखों में धुंधलका है,
पड़ोस की खिड़की दृश्य मुझे ये दिखाती है,
सड़क है इक उस पर बच्चों से भरी गाड़ी है,
मेरे पड़ोस में एक सड़क है ।

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Published by

Akshay joshi

hello world i am a normal ordinary human being who likes to write and read about different topics but my main concern is to understand how we indian thinks and write beautifully.

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